योग की परिभाषाएँ
1. योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:
2. मनः प्रशमनोपयः योग इत्यभिधीयते।
3. समत्वम् योग उच्यते।
4. योगः कर्मसु कौशलम्। 1 5. दु:खसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।
6. संयोगो योग इत्युत्टो जीवात्मा
परमात्मनो। 7. संयोगो योग इत्युतो जीवात्मा
परमात्मनो:।
8. योगेन सदानन्द स्वरूप दर्शनम्।
9. एकत्वं प्रमाणसेरिन्द्रियानं तथैव च।
10. सभी भावनाओं, योग आदि का समर्पण करें,
11. दृश्यमान त्वचा, सूक्ष्म या सूक्ष्म।
योग में आत्मा
और परमात्मा के मिलन की कल्पना की जाती है। ऐसी ही व्याख्या विष्णु पुराण में भी
मिलती है। महा उपनिषद में योग को मन को शांत करने का उपाय बताया गया है। योग एक
ऐसी अवस्था है जिसमें मन, आत्मा और
इन्द्रियाँ विचारों से रहित होकर एकाकार हो जाती हैं।
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